4 भाइयों ने शुरू की थी पान की गुमटी, अब बना डाला 300 करोड़ का डेयरी साम्राज्य

गुजरात के चार भाई छोटे से गांव से निकलकर, अमरेली शहर आ गए। यहां पान की गुमटी से शुरू कारोबार आज 500 से ज्‍यादा प्रोडक्‍ट तक फैल चुका है ।

New Delhi, Jun 13: गुजरात के 4 भाईयों ने सपना देखा, कुछ नया कर दिखाने का । इसी सपने को पूरा करने वो अमरेली शहर आ गए । पान और कोल्ड ड्रिंक्स की एक छोटी सी दुकान शुरु की। लेकिन साल 1989 में सौंदर्यीकरण की कवायद शुरू हुई और नगर निगम ने सड़क किनारे की कई छोटी-छोटी दुकानों और स्टॉल्स को तोड़ डाला । चांवड़ गांव के रहने वाले इन 4 भाईयों के अरमान भी दुकान के साथ टूट गए । लेकिन अफसोस करने की बजाय उन्‍होंने आगे बढ़ने के बारे में सोचा ।

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1987 में अमरेली पहुंचा भुवा परिवार
सफलता की ये कहानी है 4 भाईयों की । गुजरात के चावंड़ गांव के रहनेवाले सीधे-सादे भुवा परिवार का भरण पोषण गांव में खेती करके चल रहा था । लेकिन गांव में पढ़ाई की अच्छी सुविधा ना होने के कारण घर के बड़े बेटे ने पड़ोसी शहर अमरेली जाने का फैसला किया, ताकि उनके चारों बेटे दिनेश, जगदीश, भूपत और संजीव अच्छी पढ़ाई करके कोई नौकरी कर लें । बेहतर जिंदगी की तलाश में साल 1987 में भुवा परिवार अमरेली आ गया था। कुछ काम जरूरी था इसलिए बड़े भाई दिनेश ने सिटी बस स्टैंड के पास पान की दुकान खोल ली, आधे दिन दिनेश दुकान संभालते थे और बाकी के आधे दिन दूसरे भाई। जब सब ठीक चलने लगा तो नगर निगम ने सौंदर्यीकरण के नाम पर उनकी दुकान तोड़ दी।

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नई शुरुआत
चारों भाइयों ने हिम्मत न हारते हुए नई शुरुआत की, बस स्टैंड के पास ही 5X5 फिट की एक छोटी सी दुकान खरीद ली। सामान वही था, बस दुकान नई थी। कुछ सालों बाद 1993 में, जन्माष्टमी उत्सव के दौरान, भाईयों के मन में दुकान पर आइसक्रीम बेचने का विचार आया। यहीं से Sheetal ice cream की नींव की तैयारी हो गई । शुरु में वो एक स्थानीय कंपनी से आइसक्रीम खरीदकर, कमीशन पर उन्हें बेचा करते थे। मुनाफा बढ़ गया और लोगों को आइसक्रीम पसंद आ रही थीं। इसी दौरान उन्होंने आइसक्रीम बनाना भी सीख लिया । इसके बाद इस क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए खुद की आइसक्रीम यूनिट लगाने का फैसला किया। साल 1996 के बाद से वे अपनी बनाई हुई आइसक्रीम बेचने लगे।

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चुनौतियां भी कम नहीं थीं
अमरेली में बार-बार गुल होने वाली बिजली की समस्या उनके लिए चुनौती बनी । हालांकि स्थिति में सुधार होना तब शुरू हुआ, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2003 में पूरे गुजरात में बिजली पहुंचाने के लिए ग्राम ज्योति योजना लॉन्च की। इसके बाद कंपनी ने नए डेयरी प्रोडक्ट्स लॉन्च किए और साल 2012 में कंपनी का नाम बदलकर, ‘शीतल कूल प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड’ रख दिया गया। भूपत बताते हैं कि तब तक उनकी यह कंपनी दूध और दूध से बने अन्य उत्पाद, जैसे- दही, छाछ, लस्सी भी बेचना शुरू कर चुकी थी। उन्होंने साल 2015 में फ्रोजन फूड, पिज़्ज़ा ,परांठा, स्नैक्स आदि में भी हाथ आजमाया। आज कंपनी रोजाना 2 लाख लीटर दूध की प्रॉसेसिंग करती है। यहां 1500 कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें से 800 महिलाएं हैं। आज कंपनी 500 से ज्यादा उत्पाद बेच रही है। इस परिवार में अब अगली पीढ़ी भी अब बिज़नेस से जुड़ गई है। भूपत के बेटे यश भुवा ने कंपनी के कार्यकारी प्रमुख के रूप कंपनी की बागडोर संभाली है।