लिव-इन से जन्‍मे बच्‍चे का भी पैतृक संपत्ति पर हक, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे पुरुष और महिला से जन्मे बच्चे को भी पैतृक संपत्ति पर अधिकार दे दिया है । जानें क्‍या होगा इसका असर ।

सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर एक बहुत बड़ा फैसला दिया है ।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर पुरुष और महिला सालों तक पति-पत्नी की तरह साथ रहते हैं, तो मान लिया जाता है कि दोनों में शादी हुई होगी और इस आधार पर उनके बच्चों का पैतृक संपत्ति पर भी हक रहेगा । दरअसल साल 2009 में केरल हाईकोर्ट ने ऐसे एक मामले में पैतृक संपत्ति पर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे पुरुष-महिला के बेटे को पैतृक संपत्ति पर अधिकार देने से मना कर दिया था । अब सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है ।

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ये था पूरा मामला
ये मामला केरल का था, जिस संपत्ति को लेकर मामला अदालत में चल रहा था, वो कत्तूकंडी इधातिल करनल वैद्यार की थी । कत्तूकंडी नाम के इस शख्‍स के चार बेटे थे- दामोदरन, अच्युतन, शेखरन और नारायण । याचिकाकर्ता ने कहा कि वो दामोदरन का बेटा है, वहीं प्रतिवादी करुणाकरन का कहना था कि वो अच्युतन का बेटा है । शेखरन और नारायण की अविवाहित रहते हुए ही मौत हो गई थी । मामले में करुणाकरन का कहना था कि वही सिर्फ अच्युतन की इकलौती संतान है, बाकी तीनों भाई अविवाहित थे । उसका आरोप था कि याचिकाकर्ता की मां ने दामोदरन से शादी नहीं की थी, इसलिए वो वैध संतान नहीं हैं, लिहाजा उसे संपत्ति में हक नहीं मिल सकता ।

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नहीं दिया था हक
संपत्ति को लेकर ये विवाद पहले ट्रायल कोर्ट गया । वहां कोर्ट ने माना कि दामोदरन लंबे समय तक चिरुथाकुट्टी के साथ रहा, इसलिए माना जा सकता है कि दोनों ने शादी की थी । कोर्ट ने संपत्ति को दो हिस्सों में बांटने का आदेश दे दिया । इसके बाद मामला केरल हाईकोर्ट पहुंचा । कोर्ट ने आगे कहा कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी के लंबे समय तक साथ रहने के सबूत नहीं हैं और दस्तावेजों से साबित होता है कि वादी दामोदरन का बेटा जरूर है, लेकिन वैध संतान नहीं है ।

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सुप्रीम कोर्ट ने पलटा फैसला
मामला जब सुप्रीम कोर्ट गया तो अदालत ने माना कि इस बात के सबूत हैं कि दामोदरन और चिरुथाकुट्टी लंबे समय तक पति-पत्नी के रूप में रह रहे थे । – जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा, ‘अगर एक पुरुष और महिला लंबे समय तक पति-पत्नी के रूप में साथ रह रहे हों, तो माना जा सकता है कि दोनों में शादी हुई थी। ऐसा अनुमान एविडेंस एक्ट की धारा 114 के तहत लगाया जा सकता है।’ हालांकि, कोर्ट ने आगे कहा कि इस अनुमान का खंडन भी किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए साबित करना होगा कि दोनों भले ही लंबे समय तक साथ रहे थे, लेकिन शादी नहीं हुई थी ।

फैसले का असर
इस फैसले का क्‍या असर होगा, भारत में लिव-इन रिलेशनशिप में रहना अपराध नहीं है, लेकिन अब तक लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे पुरुष और महिला से किसी संतान का जन्म होता है, तो उसे पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता था । अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे पुरुष और महिला से जन्मीं संतान को भी पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा । आपको बता दें पैतृक संपत्ति में अब बेटा और बेटी दोनों को बराबर हक मिलता है । 2005 से पहले ऐसा नहीं था ।