बीजेपी के काम आया मायावती का सियासी प्‍लान, अखिलेश के लिए आगे की राह कठिन

रामपुर और आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं । परिणाम मायावती के सियासी प्‍लान के अनुरूप हैं, खास बात ये कि ये प्लान बीजेपी के लिए कारगर साबित हो गया है ।

New Delhi, Jun 27: उत्‍तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती का सियासी प्‍लान पूरी तरह से काम आया है । मायावती ने आजमगढ़ सीट पर शाह आलम गुड्डू जमाली को उतार कर मुस्लिम वोटों का बंटवारा कराकर सपा की राह में रोड़े बिछाते हुए खेल बिगाड़ा,  वहीं रामपुर में उम्मीदवार न उतार पर दलित वोटों का बंटवारा रोककर भाजपा की राह आसान कर दी ।

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2019 का गणित
सपा और बसपा ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा था । तब सपा रामपुर और आजमगढ़ दोनों ही सीटों पर जीती थी। आजमगढ़ में सपा मुखिया अखिलेश यादव को 6 लाख 21 हजार 578 वोट मिले थे । वोटिंग में यादव, मुस्लिम और दलित वोटों की हिस्सेदारी रही थी । लेकिन उप चुनाव में सपा व बसपा अलग-अलग लड़ी। मायावती ने सियासी प्‍लान बनाया और आजमगढ़ सीट से शाह आलम गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा। गुड्डू मुस्लिम हैं और आजमगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में उनकी अच्छी पहचान है। यही कारण रहा कि उनके खाते में मुस्लिम और दलित वोट का अच्छा हिस्सा पहुंचा ।

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यूं बिगड़ा सपा का खेल
चुनाव के नतीजे कुछ ऐसे रहे, बसपा प्रत्‍याशी गुड्डू जमाली को 2 लाख 66 हजार 210 वोट मिले और सपा के धर्मेंद्र यादव को 3 लाख 4089 वोट। दोनों वोटों को मिला दिया जाए तो 570299 होता है, जो अखिलेश कोakhilesh yadav वर्ष 2019 में मिले कुल वोट से 51279 कम है। यानी साफ है कि उपचुनाव में आजमगढ़ सीट पर सपा को मुस्लिम का एकतरफा वोट न मिलने से खेल बिगड़ा है। अगर ऐसा न होता तो सपा आसानी से यह सीट जीत सकती थी।

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रामपुर में नहीं उतारा उम्‍मीदवार
वहीं मायावती ने रामपुर सीट पर पहले ही उम्मीदवार न उतार कर यह साफ mayawati (1)कर दिया था कि वहां भाजपा व सपा की सीधी लड़ाई होगी। रामपुर में अधिकांश दलित वोट भाजपा के पास जाने की संभावना थी, नतीजे बता रहे हैं कि हुआ भी कुछ वैसा ही। दिलचस्प बात यह रही कि सपा उपचुनाव के दौरान बसपा को रेस से बाहर बता रही थी, वो मायावती की पार्टी को बीजेपी की बी-टीम कहती रही । बावजूद इसके मुस्लिमों के वोट और दलित वोट भी बीएसपी से जुड़े नजर आ रहे हैं । उपचुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि सपा के लिए आगे की राह आसान नहीं रहने वाली ।