द्रौपदी मुर्मू की जीत से बीजेपी को बड़ा लाभ, आधी आबादी को खास संदेश

राजनीतिक दृष्टि से बीजेपी को इसका सीधा लाभ देश की 47 लोकसभा तथा 487 विधानसभा सीटों पर मिलने की संभावना है, जो अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित हैं।

New Delhi, Jul 22 : द्रौपदी मुर्मू के 15वें राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद सामाजिक समीकरणों पर बड़ा असर होगा, इसके साथ ही बीजेपी राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश करेगी, बीजेपी ने आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचा कर सबसे पिछड़े वर्गों में से एक आदिवासी समुदाय को अपने साथ खड़ा कर लिया है, साथ ही देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को बड़ा संदेश दिया है, संदेश साफ है कि महिला सशक्तिकरण उसका वादा ही नहीं पक्का इरादा भी है।

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राजनीतिक लाभ
राजनीतिक दृष्टि से बीजेपी को इसका सीधा लाभ देश की 47 लोकसभा तथा 487 विधानसभा सीटों पर मिलने की संभावना है, जो अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित हैं, dropadi murmu इसके साथ ही अन्य तमाम सीटों पर भी इस वर्ग का समर्थन उन्हें हासिल हो सकता है। ये बीजेपी के लिये आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में मददगार हो सकता है, लेकिन बीजेपी की रणनीति यही तक सीमित नहीं है, हाल ही में पार्टी ने अगले 25 से 30 साल तक लगातार सत्ता में बरकरार रखने का अपने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया है, ऐसे में उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों में अपनी मजबूत पैठ बनानी है।

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आधी आबादी को संदेश
आदिवासी समुदाय को साधने के साथ ही बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू के जरिये देश की आधी आबादी को भी संदेश दिया है, महिला आदिवासी राष्ट्रपति होना एक बड़ा कदम है, जिससे बीजेपी ने साफ किया है कि महिला सशक्तिकरण सिर्फ वादा ही नहीं बल्कि पक्का इरादा भी है, वो विभिन्न स्थानों पर महिलाओं को लगातार राजनीतिक रुप से आगे ला रही है, हाल के चुनाव में बीजेपी को विभिन्न समुदायों की महिलाओं का काफी समर्थन मिला है, यही वजह है कि कई राजनीतिक पंडितों का अनुमान भी गलत साबित हुआ है।

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विपक्ष की मुश्किलें बढी
द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद तक पहुंचाकर बीजेपी ने विपक्ष की मुश्किलें बढा दी है, यही वजह है कि मुर्मू के नामांकन के बाद विपक्षी खेमे के तीन दल झामुमो, शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल का समर्थन भी उन्हें मिला, Draupadi Murmu इसके बाद वोटिंग के दौरान क्रॉस वोटिंग भी हुई, इसके पहले बीजेपी ने पिछली बार रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाने का फैसला कर दलित समुदाय को साधने की कोशिश की थी, जिसका लाभ चुनाव में बीजेपी को मिला। देश की चुनावी राजनीति में अभी भी जाति और सामाजिक समीकरण काफी अहम है, ऐसे में किसी भी बड़े पद की नियुक्ति में इस समीकरणों को साधना राजनीतिक दलों के लिये जरुरी होती है, बीजेपी अपने राजनीतिक एजेंडे में इन समीकरणों को साध कर लगातार आगे बढ रही है।