नाग पंचमी- नाग देव की नाराजगी इंसान की धन-संपत्ति कर देती है बर्बाद, ये हैं लक्षण, ऐसे करें दूर

नाग देवता की नाराजगी जीवन बर्बाद कर देती है, ऐसे जातक पूरी जिंदगी पैसों की तंगी झेलते हैं, विरासत में मिली संपत्ति तक नष्ट कर बैठते हैं, क्योंकि नाग की नाराजगी पर उन पर धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा नहीं होने देती है।

New Delhi, Aug 01 : मां लक्ष्मी की कृपा चाहते है, तो नाग देवता को खुश रखना बेहद जरुरी है, क्योंकि नाग देवता ही धन की रक्षा करते हैं, इसलिये खजानों के साथ नाग मिलने की कई कथाएं प्रचलित है, ज्योतिषी कहते हैं कि जिन लोगों ने नाग की पूजा की, उनके पास कभी धन की कमी नहीं हुई, नाग उपासकों पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरसती है, कई राजा-महाराजा ऐसे हुए हैं, जिन्होने नाग मंदिर बनवाये, उनकी पीढी दर पीढी उनके यहां नाग उपासना की परंपरा रही है।

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नाग की नाराजगी कर देती है बर्बाद
वहीं नाग देवता की नाराजगी जीवन बर्बाद कर देती है, ऐसे जातक पूरी जिंदगी पैसों की तंगी झेलते हैं, snake विरासत में मिली संपत्ति तक नष्ट कर बैठते हैं, क्योंकि नाग की नाराजगी पर उन पर धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा नहीं होने देती है, ऐसे में ये जरुरी है कि नाग देवता की नाराजगी का असर पहचानकर उसे दूर करने का उपाय करें।

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नाग देवता की नाराजगी के लक्षण
यदि कोई इंसान अपने जीवनकाल में या फिर पिछले जन्म में नाग को नुकसान पहुंचाता है, तो उससे नाग देवता नाराज हो जाते हैं, वहीं कुंडली में ये स्थिति काल सर्प दोष के तौर पर सामने आती है, यदि कड़ी मेहनत के बाद भी पैसों की तंगी खत्म नहीं हो रही हो, घर की बनी बनाई संपत्ति बर्बाद हो रही है, व्यक्ति गरीब होता जा रहा हो, तो इसके पीछे नाग देवता की नाराजगी वजह हो सकती है, इसके अलावा नागदेव यदि रुठ जाएं, तो व्यक्ति के शरीर में टॉक्सिंस की मात्रा बढ जाती है, परिवार के लोग बार-बार फूड प्वाइजनिंग के शिकार हो जाते हैं, उन्हें जख्म होते हैं और ठीक होने का नाम नहीं लेते, सर्प दंश का शिकार हो सकते हैं, घर में बार-बार सांप निकलने लगते हैं, या सपने में अकसर सांप दिखाई देते हैं, नाग की नाराजगी कैंसर तक का कारण बन सकती है, क्योंकि कैंसर राहु के कुप्रभाव के कारण होता है, राहु नाग का फन है।

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नागमंत्र का जाप करें
नाग देव की पूजा सबसे उत्तम माना गया है, उसके लिये नवनाग मत्र का जाप करें, इस मंत्र को 9 बार पढा जाता है, तो उनकी गिनती 1 मानी जाती है, क्योंकि एक बार नवनाग मंत्र पढना एक नाग देवता की अराधना करना है, नागपंचमी के दिन जरुर इस मंत्र का जाप करें

नवनाग मंत्र
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलं।
शन्खपालां धृतराष्ट्रं च तक्षकं कालियं तथा ।।
एतानि नव नामानि नागानाम च महात्मनम्।
सायमकाले पठेन्नीत्यं प्रातक्काले विशेषतः।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।
इसके साथ ही सर्पाकार वाली चीजें जैसे मैगी नूडल्स ना खाएं, चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर अर्पित करें, कभी भी नाग को चोट ना पहुंचाएं, ना ही सताएं, चंदन की चीजें जैसे साबुन, इत्र इत्यादि के इस्तेमाल से नाग की नाराजगी का असर कम होता है, नाग देवता की आराधना करने के बाद उनसे माफी मांगें कि अगर पिछले जन्म में नाग देवता को नुकसान पहुंचाने की गलती हुई हो, तो माफ करें।

(डिस्क्लेमर- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)