Live Video- लालकिले के प्राचीर से देश को संबोधित कर रहे पीएम मोदी, जानिये भाषण की खास बातें

आजादी के 75 साल पूरे होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं, बहुत-बहुत बधाई, मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं- पीएम मोदी

New Delhi, Aug 15 : लाल किले के प्राचीर से पीएम मोदी लगातार 9वीं बार देश को संबोधित कर रहे हैं, आजादी के 75 साल पूरे होने पर देशवासियों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं, बहुत-बहुत बधाई, मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

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पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें
ना सिर्फ हिंदुस्तान का हर कोना बल्कि दुनिया के हर कोने में आज किसी ना किसी रुप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वाला विश्व के हर कोने में ये हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है।
‘हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो, आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को,  हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है.’- पीएम मोदी
‘आज का ये दिवस ऐतिहासिक है. एक पुण्य पड़ाव,  एक नई राह,  एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है, ये देश का सौभाग्य रहा है कि आज़ादी की जंग के कई रूप रहे हैं, उसमें एक रूप वो भी था जिसमें नारायण गुरु हो,  स्वामी विवेकानंद हों,  महर्षि अरविंदो हों,  गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर हों,  ऐसे अनेक महापुरूष हिंदुस्तान के हर कोने में भारत की चेतना को जगाते रहे.’
‘देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी. आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले भी अनेक महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है. डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी, नेहरू जी, सरदार वल्लभभाई पटे, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीन दयाल उपाध्याय, जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य विनोबा भावे, नाना जी देशमुख ऐसे अनेक महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है.’  उन्होंने कहा, ‘हमारे देशवासियों ने भी उपलब्धियां की हैं, पुरुषार्थ किया है, हार नहीं मानी है और संकल्पों को ओझल नहीं होने दिया है.’

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अमृतकाल का पहला प्रभात Aspirational Society की आकांक्षा को पूरा करने का सुनहरा अवसर है. हमारे देश के भीतर कितना बड़ा सामर्थ्य है, एक तिरंगे झंडे ने दिखा दिया है.
‘कल 14 अगस्त को विभाजन भयावह स्मृति दिवस पर हमने भारी मन से उन लोगों को याद किया, जिन्होंने हमारे तिरंगे के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. 2014 में देश की जनता ने मुझे जिम्मेदारी दी थी. मैं आजादी के बाद पैदा हुआ पहला व्यक्ति था, जिसे लाल किले से लोगों को संबोधित करने का मौका मिला.’
‘अमृत महोत्सव के दौरान  देशवासियों ने देश के हर कोने में लक्ष्यावधि कार्यक्रम किए. शायद इतिहास में इतना विशाल, व्यापक, लंबा एक ही मकसद का उत्सव मनाया गया हो.वो शायद एक पहली घटना हुई है. हिंदुस्तान के हर कोने में उन सभी महापुरुषों को याद करने का प्रयास किया गया, जिनको किसी न किसी कारणवश इतिहास में जगह न मिली, या उनकों भुला दिया गया था. आज देश ने खोज खोज कर ऐसे वीरों, महापुरुषों, बलिदानियों, सत्याग्रहियों को याद किया, नमन किया.’

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‘भारत लोकतंत्र की जननी है. मदर ऑफ डेमोक्रेसी है, जिनके ज़हन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आती है ये मदर ऑफ डेमोक्रेसी. हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास ये अनमोल सामर्थ्य है. 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षाएं, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए. आज़ादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला.’
‘आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो  पिछले 75 साल में देश के लिए जीने-मरने वाले, देश की सुरक्षा करने वाले, देश के संकल्पों को पूरा करने वाले चाहे सेना के जवान हों,पुलिसकर्मी हों, जन प्रतिनिधि हों, स्थानीय स्वराज की संस्थाओं के प्रशासक रहे हों.’

‘आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है. समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है. विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास ये अनमोल सामर्थ्य है. 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षाएं, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए. आज़ादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला.’
‘अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए. दूसरा प्राण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना.’
‘कोरोना के कालखंड में दुनिया वैक्सीन लेने या न लेने  की उलझन में जी रही थी. उस समय हमारे देश लोगों ने 200 करोड़ डोज लेकर दुनिया को चौंका देने वाला काम करके दिखाया.’
हम अमृत काल में कदम रख रहे हैं और इस मौके पर ‘पंच प्रण’ का संकल्‍प लेते हैं. उन्होंने कहा, ‘अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए. दूसरा प्राण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना. तीसरी प्रण शक्ति- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए. चौथा प्रण है- एकता और एकजुटता. पांचवां प्रण है- नागरिकों का कर्तव्य, इसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, राष्ट्रपति भी बाहर नहीं है और मुख्यमंत्री भी बाहर नहीं है.’

‘आजादी के इतने दशकों बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है. विश्व, भारत की तरफ गर्व और अपेक्षा से देख रहा है. समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर, दुनिया खोजने लगी है.’
‘आने वाले 25 साल के लिए हमें उन पंच प्राण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा. 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा. अनुभव कहता है कि एक बार हम सब संकल्प लेकर चल पड़ें, तो हम निर्धारित लक्ष्यों को पार कर लेते हैं. आने वाले 25 साल के लिए हमें ‘पंच प्रण’ पर अपनी शक्ति, संकल्पों और सामर्थ्य को केंद्रित करना होगा.’
‘जिस प्रकार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, जिस मंथन के साथ बनी है, कोटि-कोटि लोगों के विचार प्रवाह को संकलित करते हुए बनी है. भारत की धरती से जुड़ी हुई शिक्षा नीति बनी है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘आज विश्व पर्यावरण की समस्या से जो जूझ रहा है. ग्लोबल वार्मिंग की समस्याओं के समाधान का रास्ता हमारे पास है. इसके लिए हमारे पास वो विरासत है, जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी है.’