27 अगस्त को शनिचरी अमावस्या, 5 राशि के जातक जरुर करें ये काम, मुश्किल होगा आसान

शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है, शनिवार के दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है, ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि की महादशा से पीड़ित राशियों के जातकों के लिये खास माना गया है।

New Delhi, Aug 23 : भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या या भादो अमावस्या कहा जाता है, ये अमावस्या पितृ पक्ष से पहले होती है, इस दिन दान-पुण्य करना, तर्पण तथा पिंडदान करना बेहद शुभ माना जाता है, मान्यता है कि ये दिन पितृ दोष, काल सर्प दोष से मुक्ति के लिये भी खास है, इस साल भाद्रपद अमावस्या 27 अगस्त शनिवार को पड़ रही है।

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शनिश्चरी अमावस्या का संयोग
शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है, शनिवार के दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है, ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि की महादशा से पीड़ित राशियों के जातकों के लिये खास माना गया है, shani इस दिन शनि साढेसाती और ढैय्या से पीड़ित राशियों के लोग कुछ उपायों के जरिये शनिदेव का अशुभ प्रभाव कम कर सकते हैं।

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ये राशियां साढेसाती और ढैय्या से पीड़ित
वर्तमान में शनिदेव मकर राशि में वक्री अवस्था में विराजमान हैं, ऐसे में धनु, मकर तथा कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढेसाती है, shani5 जबकि मिथुन तथा तुला राशि के जातकों पर ढैय्या का प्रभाव है, शनि ढैय्या और साढेसाती से पीड़ित राशि वालों को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता है।

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शनि को खुश करने के उपाय
शनि की साढेसाती तथा ढैय्या से पीड़ित जातक शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिये शनिचरी अमावस्या के दिन सरसों के तेल से शनिदेव की पूजा करें, इसके साथ ही काली उड़द दाल से बनी इमरती प्रसाद के रुप में अर्पित करें।
शनिचरी अमावस्या के दिन पहले यानी शुक्रवार को सवा पाव काली उड़द की दाल को एक कपड़े में बांध लें, इस पोटली को अपने पास रात में रखकर सो जाएं, ध्यार रहे कि आप अकेले ही सोएं, शनिचरी अमावस्या के दिन इस दाल की पोटली को किसी शनि मंदिर में रखें, मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
शनिचरी अमावस्या के दिन कांसे की कटोरी में सरसों का तेल तथा सिक्का डालकर उसमें अपनी परछाई देखें, फिर किसी गरीब या जरुरतमंद को दान कर दें, या शनि मंदिर में कटोरी समेत तेल रखकर आएं, इसके साथ ही पेपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल की दीया जलाएं, मान्यता है कि ये उपाय कम से कम 5 शनिवार करने से शनिदोष में लाभ मिलता है।

(डिस्क्लेमर- इस ऑर्टिकल में दी गई जानकारी की सत्यता की पुष्टि हम नहीं करते हैं, इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से सलाह जरुर लें।)