विकास दिव्यकीर्ति- कभी कैलकुलेटर बेच करते थे गुजारा, अब युवाओं को बना रहे IAS-IPS
दृष्टि आईएएस की स्थापना करने वाले विकास दिव्यकीर्ति ने बताया कि अपने पहले ही प्रयास में उन्होने यूपीएससी पास कर ली थी, हालांकि जो नौकरी मिली थी, जो उनके मूल स्वाभाव के अनुसार था नहीं, इसलिये उन्होने टीचिंग को अपना प्रोफेशन बनाया।
New Delhi, Aug 24 : डॉ. विकास दिव्यकीर्ति किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, वो शख्स जो कभी सेल्समैन बनकर दिल्ली में कैलकुलेटर बेचा करते थे, अपने भाई के साथ कभी प्रिटिंग का काम करते थे, वो आज युवाओं को अधिकारी बना रहे हैं, यूपीएससी की तैयारी करने वालों के बीच काफी फेमस हैं, इनके पढाने और समझाने का तरीका सरल, सहज है, यही वजह है कि सोशल मीडिया पर भी इनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। विकास ने हालिया इंटरव्यू में अपनी जिंदगी की कहानी खुद ही बयां की है।
गलत जानकारी
मूल रुप से पंजाब के रहने वाले (परिवार हरियाणा में रहता है) डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि इंटरनेट पर उनके बारे में कई गलत जानकारी है, जैसे उनका जन्म 1973 में हुआ था, जबकि इंटरनेट पर 1976 है, उन्होने 1996 में यूपीएससी का पहला प्रयास दिया था, 1976 में जन्मे होते, तो 20 साल की उम्र में सिविल सेवा परीक्षा में कैसे बैठते, उसके लिये कम से कम 21 साल जरुरी है, इनकी यूपीएससी जर्नी भी काफी दिलचस्प रही।
24 साल की उम्र में पढाने लगे
दृष्टि आईएएस की स्थापना करने वाले विकास दिव्यकीर्ति ने बताया कि अपने पहले ही प्रयास में उन्होने यूपीएससी पास कर ली थी, हालांकि जो नौकरी मिली थी, जो उनके मूल स्वाभाव के अनुसार था नहीं, इसलिये उन्होने टीचिंग को अपना प्रोफेशन बनाया, साढे 24 साल की उम्र से यूपीएससी के बच्चों को पढाने लगे।
विकास दिव्यकीर्ति की शिक्षा
विकास दिव्यकीर्ति ने बीए (हिस्ट्री), एमए हिंदी, एमए सोशियोलॉजी, मास कम्युनिकेशन, एलएलबी, मैनेजमेंट की पढाई की है, वो भी अंग्रेजी माध्यम से, जेआरएफ क्लियर किया है, हिंदी में पीएचडी भी हैं, पढाई के दौरान ही उन्हें अपनी जूनियर डॉ. तरुणा वर्मा से प्यार हो गया, दोनों ने कुछ साल डेट किये, फिर 1997 में शादी कर ली, तरुणा मूल रुप से बिहार से हैं।