पत्नी शिक्षिका, तो बेटा वकील, दादा-पिता भी रहे वकालत में, जानिये नये CJI यूयू ललित की कहानी

बॉम्बे से दिल्ली आकर मयूर विहार के फ्लैट से यूयू ललित का पेशेवर जीवन शुरु हुआ, जो अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शपथ ग्रहण तक पहुंचा, उन्होने दिल्ली में अपनी अलग शैली से वकालत के क्षेत्र में धाक जमाई, टॉप क्रिमिनल लॉयर के रुप में पहचान बनाई।

New Delhi, Aug 27 : न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने शनिवार को भारत के 49वें सीजेआई के रुप में शपथ लिया है, राष्ट्रपति ने उन्हें शपथ दिलाई, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पीएम मोदी, तथा कई केन्द्रीय मंत्री इस समारोह में शामिल हुए, न्यायमूर्ति ललित से पहले सीजेआई के रुप में सेवा देने वाले न्यायमूर्ति एन वी रमण भी इस मौके पर मौजूद थे।

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बुजुर्गों का आशीर्वाद
जज ललित ने शपथ ग्रहण के बाद अपने 90 वर्षीय पिता तथा हाईकोर्ट के पूर्व जज उमेश रंगनाथ ललित समेत परिवार के दूसरे बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया, प्रधान न्यायधीश के रुप में ललित का कार्यकाल 74 दिन का होगा, वो 65 साल के होने पर इसी साल 8 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे, ललित के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ अपने सीजेआई हो सकते हैं।

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मयूर विहार के फ्लैट से शुरु हुआ पेशेवर जीवन
बॉम्बे से दिल्ली आकर मयूर विहार के फ्लैट से यूयू ललित का पेशेवर जीवन शुरु हुआ, जो अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शपथ ग्रहण तक पहुंचा, उन्होने दिल्ली में अपनी अलग शैली से वकालत के क्षेत्र में धाक जमाई, टॉप क्रिमिनल लॉयर के रुप में पहचान बनाई, ललित को नायाब तर्कों, दलीलों और सौम्य व्यक्तित्व वाले मृदु भाषी शख्स के रुप में पहचाना जाता है। ये भी दिलचस्प है कि ललित के परिवार के लोग एक सदी से ज्यादा समय से वकालत के क्षेत्र में हैं, उनके दादा जी का नाम रंगनाथ ललित है, जो महाराष्ट्र के सोलापुर में वकालत करते थे, उनके पिता उमेश रंगनाथ ललित ने सोलापुर से वकालत शुरु की, फिर मुंबई में खूब नाम कमाया, मुंबई हाईकोर्ट के जज भी रहे।

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पत्नी है टीचर
सीजेआई ललित की पत्नी अमिता उदय ललित का पेशेवर जीवन वकालत से अलग है, वो एक शिक्षिका हैं, जो नोएडा के एक स्कूल में पढाती हैं, जस्टिस ललित और अमिता के दो बेटे हैं, बड़े बेटे श्रेयस और उनकी पत्नी रवीना दोनों ही वकील है, छोटा बेटा हर्षद अपनी पत्नी राधिका के साथ अमेरिका में रहते हैं। जज ललित को 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था, तब वो वरिष्ठ अधिवक्ता थे, वो मुसलमानों में तीन तलाक की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसले का हिस्सा रहे हैं, 5 जजों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3-2 के बहुमत से तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था, इन तीन न्यायधीशों में न्यायमूर्ति ललित भी थे। उन्होने राजनीतिक रुप से संवेदनशील अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मसले की सुनवाई से खुद को जनवरी 2019 में अलग कर लिया था, मामले में एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने संविधान पीठ को बताया था कि जज ललित यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के वकील के रुप में एक संबंधित मामले में 1997 में पेश हुए थे।