देवर के प्यार में पागल थी महिला, चाट खिलाकर पति की ले ली जान, डेढ साल बाद खुला मामला

एसपी नवनीत भसीन ने केस के बारे में बताया कि करीब डेढ साल पहले मृतक की दूसरी पत्नी और उसके देवर गुलाब पाल ने रामसुशील की हत्या की साजिश रची।

New Delhi, Oct 31 : एमपी के रीवा जिले के मऊगंज थाना पुलिस ने करीब डेढ साल पुराने ब्लाइंड मर्डर केस को सुलझाने का दावा किया है, मृतक की दूसरी पत्नी का उसके देवर के साथ नाजायज संबंध था, उसने जमीनी विवाद के चलते डेढ साल पहले पति को समोसा चाट में चूहा मारने की दवाई खिलाकर मौत के घाट उतार दिया, फिर धारदार हथियार से मृतक का गला काट दिया, इसके बाद बोरे में भरकर एक कमरे में भूसे के नीचे दफन कर दिया, पुलिस ने वारदात में शामिल 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, वहीं दो आरोपित अभी भी फरार हैं, दो दिन पहले पुलिस को जंगल में एक नरकंकाल पड़े होने की सूचना मिली, पुलिस तथा फॉरेंसिक टीम ने मौके पर पहुंचकर साक्ष्य जमा किये, जिसके बाद ये खुलासा हुआ है, कि ये कंकाल रामसुशील पाल का है, जो डेढ साल से गायब था।

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पुलिस को सूचना
रोंगटे खड़े कर देने वाला ये मामला मऊगंज थाना क्षेत्र के उमरी गांव का है, 2 दिन पहले जंगल में एक नरकंकाल पड़े होने की सूचना पुलिस को मिली थी, पुलिस टीम ने जांच-पड़ताल की तो पता चला कि dead body रामसुशील डेढ साल से गायब है, उसकी पत्नी से कड़ाई से पूछताछ हुई, तो फिर ये मामला खुल गया, मृतक रामसुशील पाल की दूसरी पत्नी रंजना पाल का उसके देवर के साथ अवैध संबंध था, मृतक तथा उसके परिवार के बीच जमीन का विवाद भी था।

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समोसा चाट में जहर देकर मारी
एसपी नवनीत भसीन ने केस के बारे में बताया कि करीब डेढ साल पहले मृतक की दूसरी पत्नी और उसके देवर गुलाब पाल ने रामसुशील की हत्या की साजिश रची, पत्नी ने बाजार से समोसे वाली चाट मंगवाई, फिर उसमें चूहे मारने वाली दवा मिलाकर पति को खिला दिया, जिसके बाद पति बेसुध हो गया, फिर प्रेमी को सूचना दी, जिसके बाद दूसरे दिन गुलाब पाल ने अपने भाई अंजनी पाल के साथ मिलकर धारदार हथियार से उसका गला काट दिया, शव को बोरे में भरकर वारदात वाली जगह से दूर ले जाकर एक कमरे में भूसे के ढेर के नीचे दफन कर दिया।

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बाहर कमाने गया है
मृतक पिछले डेढ साल से घर पर नहीं दिखाई देता था, इस दौरान पड़ोस के लोग पत्नी से पूछते भी थे, तो महिला कहती थी कि पति बाहर कमाने गया है, पड़ोसियों को ज्यादा शक इसलिये भी नहीं हुआ, क्योंकि रामसुशील पहले भी परदेस में रहकर काम कर चुका था।