NDTV पर अलग अंदाज में दिखा चुनाव परिणाम कवरेज, बीते 3 दशक में पहली बार हुआ ऐसा
गुजरात तथा हिमाचल विधानसभा चुनाव परिणाम कवरेज में इस बार एनडीटीवी पर गूढ विश्लेषण कम दिखा, ग्राउंड से रिपोर्ट्स कवरेज ज्यादा दिखा।
New Delhi, Dec 08 : गुजरात विधानसभा चुनाव तथा हिमाचल विधानसभा चुनाव की मतगणना का कवरेज इस बार एनडीटीवी न्यूज चैनल पर थोड़ा अलग अंदाज में दिखा, देश में चुनाव कवरेज को नये तेवर तथा कलेवर के साथ शुरुआत करने वाला डॉ. प्रणय रॉय इस बार एनडीटीवी चुनाव परिणाम कवरेज से दूर रहे।
गूढ विश्लेषण कम
गुजरात तथा हिमाचल विधानसभा चुनाव परिणाम कवरेज में इस बार एनडीटीवी पर गूढ विश्लेषण कम दिखा, ग्राउंड से रिपोर्ट्स कवरेज ज्यादा दिखा, चुनावी कवरेज में एनडीटीवी की पहचान आंकड़ों तथा उनके विश्लेषण के लिये होती रही है, प्रणय रॉय इस बार टीवी स्क्रीन से भी गायब रहे, वैसे आमतौर पर प्रणय मतगणना के दिन नामी लोगों के साथ पैनल डिस्कशन में चुनाव परिणामों से जुड़े एक-एक पहलू का विश्लेषण किया करते थे।
प्रणय ने की थी विश्लेषण की शुरुआत
एनडीटीवी की स्थापना के एक साल बाद दिसंबर 1989 में प्रणय ने एक इलेक्शन शो प्रस्तुत किया था, बाद में वो शो टीवी मीडिया के लिये इलेक्शन रिजल्ट कवर करने का मानक बन गया, कह सकते हैं कि आज टीवी मीडिया में जिस तरह चुनावी नतीजों को कवर किया जाता है, उसकी रुपरेखा प्रणय रॉय ने तैयार की थी। जब प्रणय ने इलेक्शन रिजल्ट पर शो बनाया था, तो समाचार जगत में सिर्फ पार्टियों के जीत-हार की घोषणा का चलन था, लेकिन प्रणय ने नतीजों को राष्ट्र का मिजाज बताकर पेश करना शुरु किया, मतगणना से निकले परिणाम का विश्लेषण करना शुरु किया।
97 हॉटलाइन से हुई थी चुनाव के नतीजों की कवरेज
प्रणय रॉय के इलेक्शन शो से पहले भारतीय दर्शकों ने कभी इस तरह की चकाचौंध वाली तकनीक नहीं देखी थी, उस साल की इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रोड्यूसर्स ने स्टूडियों को राज्यों की राजधानियों, मुख्य चुनाव अधिकारियों, प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों से जोड़ने के लिये 97 हॉट लाइन्स सेटअप किया था, उन हॉट लाइन्स को देशभर में 15 ओबी वैन से कनेक्ट किया गया, दूरदर्शन के इस शो को बनाने में करीब ढाई करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जिसमें से 16 लाख रुपये एनडीटीवी को प्रोडक्शन के लिये दिया गया था।