बरखा के ट्वीट पर बिगड़े रवीश कुमार, कहा उनकी तबीयत बिगड़ी, तो खुद तलवा रगड़ रहे थे प्रणय रॉय

एनडीटीवी में अडानी की एंट्री के बाद बरखा दत्त ने ट्वीट किया था, कि मैं कंफ्यूज हूं, कि जब एनडीटीवी में मुकेश अंबानी की 30 फीसदी हिस्सेदारी थी, तब सब फ्री था, और अब अडानी ने खरीद लिया, तो हायतौबा मच गई।

New Delhi, Dec 27 : एनडीटीवी में अडानी की एंट्री के बाद अपने पद से इस्तीफा देने वाले रवीश कुमार ने एक और इंटरव्यू दिया है बीबीसी को दिये इंटरव्यू में उन्होने बरखा दत्त की खिंचाई की, उन्होने कहा कि मैं खुंदक में कोई बात नहीं कहना चाहता, जिससे उन्हें ठेस पहुंचे, लेकिन मुझे ध्यान है कि एक बार एनडीटीवी में रहते हुए उन्हें चक्कर आ गया था, मैंने देखा कि डॉ. प्रणव रॉय उनके तलवे रगड़ रहे थे, ताकि उनकी तबीयत ठीक हो जाए, ये मेरी आंखों देखी वाकया है, उन दिनों वो वहां मैनेजिंग एडिटर थी, वही बता सकती है कि तब वहां क्या होता था।

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बरखा दत्त ने क्या ट्वीट किया था
मालूम हो कि एनडीटीवी में अडानी की एंट्री के बाद बरखा दत्त ने ट्वीट किया था, कि मैं कंफ्यूज हूं, कि जब एनडीटीवी में मुकेश अंबानी की 30 फीसदी हिस्सेदारी थी, तब सब फ्री था, और अब अडानी ने खरीद लिया, तो हायतौबा मच गई, ऐसा क्यों, रवीश, बरखा दत्त के इसी ट्वीट का जवाब दे रहे थे।

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क्या राजनीति में आएंगे रवीश
रवीश कुमार से जब पूछा गया कि क्या किसी विपक्षी पार्टी ने कभी आपसे संपर्क किया, या चुनाव लड़ने का ऑफर दिया, तो उन्होने इंकार कर दिया, रवीश ने कहा कि मेरे दोस्त तथा शुभचिंतक कहते रहते हैं कि राजनीति में आना चाहिये, आप कल्पना करिये, कि मैं लोकसभा में हूं, मेरे सामने वो हों… लोकसभा को तो कोई नहीं खरीद सकता ना…, लेकिन काम वही करना चाहिये, जो आपके सपने में आये, मेरे सपने में अभी भी टीवी आता है।

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क्यों नहीं बेचे एनडीटीवी के शेयर
रवीश कुमार ने बताया कि मेरे पास अभी भी एनडीटीवी के कुछ शेयर हैं, लेकिन मैंने अपने शेयर नहीं बेचे, अगर उस समय बेच देता, तो शायद कुछ फायदा ही होता, लेकिन सिर्फ इसलिये नहीं बेचा कि डॉ. प्रणय रॉय को कहीं बुरा ना लग जाए, एक चिट्ठी छांटने वाले को उन्होने इतना बड़ा मौका दिया था, उसके पास एक मौका आया, तो पैसा गिनने लगा। आपको बता दें कि एनडीटीवी में अडानी की एंट्री के बाद रवीश कुमार ने संस्थान से इस्तीफा दे दिया था, उन्होने कहा कि अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है, एनडीटीवी में 27 साल की पारी के दौरान तमाम ऐसे मौके आये, जब उन्हें बेहतर ऑफर मिले, ज्यादा पैसा मिल सकता था, लेकिन एनडीटीवी नहीं छोड़ा, रवीश ने कहा मैं और हमारे तमाम साथी पिछले कई सालों से बिना किसी इंक्रीमेंट तथा सैलरी बढोतरी के एनडीटीवी के साथ थे, उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे। रवीश ने प्रणय और राधिका रॉय का बचाव करते हुए कहा सिर्फ उनके आखिरी पत्र के आधार पर नहीं कह सकते कि वो यहां से बहुत पैसा लेकर गये हैं, या उनके कोई बहुत मुनाफा हो गया है, प्रणय रॉय पर तमाम केस लगा दिये गये हैं, जो लोग कभी उनके साथ खड़े रहते थे, सर बोला करते थे, उन्होने अपने चैनलों पर इसे कवर किया है, कम से कम मैंने तो उनके साथ ऐसा नहीं किया, मैं राधिका रॉय को रोते हुए भी देखा है, चैनल से उन लोगों का बहुत लगाव था, दोनों बहुत खुश तो नहीं होंगे।

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