हत्या के बाद भिखारी बन गया शहजाद, कार से जाता था भीख मांगने, 3 साल तक देता रहा चकमा

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुरु में वो बार-बार अपना ठिकाना बदलता रहा, लेकिन बाद में जांच कर्ताओं को गुप्त सूचना मिली, कि वो अपने परिवार के साथ स्थायी रुप से गंगा विहार गाजियाबाद में रह रहा है।

New Delhi, Feb 15 : हत्या के केस में आरोपित एक शख्स ने पुलिस से बचने के लिये 3 साल तक खुद को भिखारी बनाये रखा, इस दौरान उसने अपनी पहचान बदलने के लिये गाजियाबाद की सड़कों पर एक दिव्यांग के साथ भिखारी का काम करता रहा, इस शख्स का नाम शहजाद (33 साल) है, और जिस दिव्यांग के साथ वो काम कर रहा था, उसका नाम फूल हसन है, हर बार ट्रैफिक सिग्नल पर जब कोई कार रुकती, तो वो सहानुभूति रखने वाले लोगों से अपील करने के लिये बैसाखियों का सहारा लेने वाले हसन का इस्तेमाल करता था, दिन भर में जो भी कमाई होती थी, उसे आपस में बांट लेते थे।

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2019 में मर्डर आरोप
हालांकि उसकी ये चाल बहुत दिनों तक नहीं चल सकी, आखिरकार पुलिस शहजाद तक पहुंच ही गई, शहजाद ने 2019 में कथित तौर पर उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी में एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी, firing वारदात में उसके साथी कथित रुप से अधिवक्ता को कुछ महीने बाद गिरफ्तार कर लिया था, शहजाद फरार हो गया, उसे अपराधी घोषित कर दिया गया।

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गाजियाबाद में रह रहा था
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि शुरु में वो बार-बार अपना ठिकाना बदलता रहा, लेकिन बाद में जांच कर्ताओं को गुप्त सूचना मिली, कि वो अपने परिवार के साथ स्थायी रुप से गंगा विहार गाजियाबाद में रह रहा है, firing अधिकारी ने कहा 3 साल के दौरान हमने आरोपित पर तकनीकी रुप से निगरानी रखी, उसके घर का सही पता लगाने की कोशिश की, हमें बाद में पता चला कि उसके पास एक सैंट्रो है, जिसमें वो कई स्थानों की यात्रा करता है।

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भीख मांगने का काम
अधिकारी ने कहा उसके घर का पता लगाने के बाद पड़ोसियों तथा मकान मालिक से पूछताछ की गई, जिन्होने पुष्टि की, कि शहजाद सुबह अपने वाहन से निकलता था, शाम को वापस लौटता था, इलाके के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गये, एक सैंट्रो कार को इलाके के कई प्रमुख ट्रैफिक जंक्शनों के पास से गुजरते देखा गया। arrested1 मौके पर दुकान के मालिकों तथा कुछ आम यात्रियों से शहजाद की पहचान के बारे में पूछा गया, तो उन्होने बताया कि वो अपनी कार को कुछ दूरी पर पार्क करता था, पुराने फटे कपड़े पहनता था, हसन से मिलता था, फिर दोनों शाम तक इलाके में भीड़-भाड़ वाली जगहों पर भीख मांगते। दोनों भीख मांग कर करीब 2 हजार रुपये जमा कर लेते थे।