चुनाव आयोग ने किस आधार पर शिंदे गुट को दिया नाम और सिंबल?, आसान भाषा में जानिये

चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी के संविधान को अलोकतांत्रिक करार दिया और फैसला किया कि पार्टी संविधान के परीक्षण पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

New Delhi, Feb 18 : इलेक्शन कमीशन ने फैसला सुनाया है, कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह धनुष-बाण शिंदे गुट को दिया जाएगा, मामले को लेकर उद्धव ठाकरे ने मुंबई में मीडिया से बात करते हुए कहा कि शिंदे गुट ने हमारे धनुष और तीर के निशान को चुरा लिया है, लेकिन लोग इस चोरी का बदला लेंगे, पूर्व सीएम ने चुनाव आयोग के फैसले को लोकतंत्र के लिये खतरनाक बताते हुए कहा कि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

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किस आधार पर फैसला
चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद एकनाथ शिंदे गुट अब शिवसेना के असल हकदार होंगे, shinde fadanvis सवाल ये है कि ये कैसे संभव हुआ, चुनाव आयोग में किस आधार पर ये फैसला लिया गया, आइये इसे समझने की कोशिश करते हैं।

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3 सदस्यों की कमेटी ने लिया फैसला
इस मामले को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी 3 सदस्यीय टीम का गठन किया है, अपने 77 पन्नों के आदेश में 3 सदस्यीय आयोग ने बहुमत के आधार पर ये तय किया, कि शिंदे गुट ये साबित करने में कामयाब रहा है कि वो नाम और सिंबल के हकदार हैं। eknath shinde एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के 67 में से 40 विधायकों और एमएलसी का समर्थन प्राप्त है, जबकि संसद के दोनों सदनों में 22 में से 13 सांसद शिंदे के साथ हैं, चुनाव आयोग ने कहा कि शिंदे गुट के 40 विधायकों को 2019 के चुनाव में शिवसेना के 6 फीसदी वोट मिले थे, जबकि ठाकरे गुट के विधायकों को 23.5 फीसदी वोट मिले थे।

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पार्टी के संविधान का टेस्ट
चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी के संविधान को अलोकतांत्रिक करार दिया और फैसला किया कि पार्टी संविधान के परीक्षण पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि पार्टी ने 2018 में अपने संशोधित संविधान की एक प्रति जमा नहीं की थी, shivsena दस्तावेज को और अधिक अलोकतांत्रिक बनाने के लिये बदल दिया गया है, ये भी पाया गया कि ये पार्टी के संगठनात्मक विंग में बहुमत के परीक्षण पर भरोसा नहीं कर सकता, क्योंकि दोनों गुटों द्वारा संख्यात्मक बहुमत के दावे संतोषजनक नहीं थे।