पिता ढोते थे सिलेंडर, 1 कमरे में रहता था पूरा परिवार, नौंवी फेल रिंकू सिंह की स्ट्रगल स्टोरी
रिंकू सिंह को केकेआर ने 80 लाख रुपये में खरीदा था, उन्हें उम्मीद थी कि 20 लाख तक मिलेंगे, वो भी उनके लिये काफी था, क्योंकि उनका परिवार बेहद गरीब था।
New Delhi, Apr 10 : आखिरी 6 गेंदें और 29 रनों का लक्ष्य, लगभग असंभव पर यही चमका एक नाम, जो सबकी जुबान पर है रिंकू सिंह, जी हां, लगातार 5 छक्के लगाकर चमत्कार करने वाले रिंकू सिंह की खूब तारीफ हो रही है। उन्होने सिर्फ जीत ही नहीं दिलाई, बल्कि कई रिकॉर्ड भी अपने नाम कर गये, रिंकू से पहले अब तक किसी भी क्रिकेटर ने टी-20 लीग या इंटरनेशनल क्रिकेट में 20वें ओवर में लगातार 5 छक्के नहीं लगाये हैं, इससे पहले धोनी 20वें ओवर में 23 रन बनाकर सीएसके को जीत दिला चुके हैं।
गरीब परिवार से नाता
रिंकू सिंह को केकेआर ने 80 लाख रुपये में खरीदा था, उन्हें उम्मीद थी कि 20 लाख तक मिलेंगे, वो भी उनके लिये काफी था, क्योंकि उनका परिवार बेहद गरीब था। रिंकू आज आईपीएल के सबसे चर्चित स्टार हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब उनके पिता सिलेंडर डिलीवरी का काम करते थे, वो दूसरों की घरों में झाड़ू-पोंछा का काम करते थे।
5 भाई बहनों में तीसरे नंबर पर
केकेआर को दिये एक इंटरव्यू में रिंकू सिंह ने अपनी जिंदगी के बारे में बताया, उन्होने कहा परिवार में 5 भाई-बहन हैं, पापा सिलेंडर डिलीवरी का काम करते थे, हम पांचों भाइयों से भी काम करवाते, जब कोई नहीं मिलता, तो डंडे से पीटते थे, हम सारे भाई साइकिल और बाइक पर 2-2 सिलेंडर रखकर होटल तथा घरों में डिलीवरी करते थे, सभी ने पापा को भी सपोर्ट किया, जहां मैच होता, सारे भाई एक साथ खेलने जाते थे। पापा खेलने के लिये हमेशा मना करते थे, मम्मी थोड़ा सपोर्ट करती थी, शहर के पास एक टूर्नामेंट हुआ, उसके लिये पैसे चाहिये थे, मम्मी ने दुकान से एक हजार रुपये उधार लेकर दिये थे।
1 कमरे में रहता था परिवार
केकेआर की जीत के बाद अलीगढ स्टेडियम के पास 2 छोटे कमरों का घर जबरदस्त चर्चा में है, इसी में रिंकू का परिवार रहता था, हालांकि उनके आईपीएल में आने के बाद सब बदल गया है। रिंकू ने आईपीएल में चयन की कहानी भी बताई, इंडियन एक्सप्रेस से कहा सोचा था 20 लाख में जाऊंगा, लेकिन मुझे 80 लाख मिल गये, पहली चीज जो दिमाग में आई, वो ये थी कि बड़े भाई की शादी में मैं भी कुछ खर्च कर पाऊंगा, बहन की शादी के लिये भी कुछ बचा लूंगा, एक अच्छे घर में शिफ्ट हो जाऊंगा। 3 साल पहले परिवार पर 5 लाख कर्ज था, कर्ज चुकाने में दिक्कत हो रही थी, मैं नौंवी फेल हूं, जानता हूं कि क्रिकेट ही इकलौता चांस है। यूपी अंडर-19 टीम से खेल रहा था, तो वहां मिलने वाले पैसे कर्ज चुकाने में चली जाती ती, 2 साल पहले इंडिया अंडर-19 के लिये भी चांस बने, लेकिन अंडर-19 विश्वकप नहीं खेल पाया, परिवार की मुश्किलें देखते हुए क्रिकेट पर पूरा फोकस करना था।