शनिवार के दिन इन राशियों के जातक जरुर करें ये काम, अमीर बनने में नहीं लगेगा समय

ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि जिन जातकों पर शनि देव की कुदृष्टि पड़ती है, उन्हें जीवन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है, व्यक्ति के करियर से लेकर उनकी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बढने लगती है।

New Delhi, May 29 : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि देव को कर्म फलदाता और न्याय का देवता कहा जाता है, मान्यता है कि शनि देव की टेढी नजर जिस भी व्यक्ति पर पड़ती है, उसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इतना ही नहीं व्यक्ति का जीवन समस्याओं से घिरा रहता है, ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह माना गया है, कहा जाता है कि शनि देव व्यक्ति को कर्मों के मुताबिक ही फल देते हैं।

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साढेसाती और ढैय्या
अच्छे कर्म करने वाले लोगों को शनि की शुभ दृष्टि तो बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को अशुभ दृष्टि की प्राप्ति होती है, जिन जातकों की कुंडली में शनि की साढेसाती या ढैय्या चल रही है, उनके जीवन में अस्थिरता बनी रहती है, shani dev ऐसे में शनि देव को प्रसन्न करने से साढेसाती तथा ढैय्या के प्रभावों में कमी आती है। व्यक्ति को परेशानियों से राहत मिलती है, ऐसे में शनि की कुदृष्टि से बचने के लिये ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपायों के बारे में बताया गया है।

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किन लोगों को करने चाहिये उपाय
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि जिन जातकों पर शनि देव की कुदृष्टि पड़ती है, उन्हें जीवन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है, व्यक्ति के करियर से लेकर उनकी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बढने लगती है, shani 5 व्यक्ति के कार्य में कई तरह की बाधाएं आती है, कार्य बिगड़ते जाते हैं। आपको बता दें कि इस समय मकर, कुंभ तथा मीन राशि के जातक शनि की साढेसाती से गुजर रहे हैं, वहीं कर्क तथा वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या चल रही हैं, ऐसे में शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिये इन जातकों को शनि देव की खास पूजा-अर्चना करनी चाहिये।

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करें ये उपाय
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को खुश करने के लिये कई उपायों के बारे में बताया गया है, इनमें से एक शनि कवच स्त्रोत भी शामिल है, मान्यता है कि अगर नियमित रुप से इसका पाठ किया जाए, तो व्यक्ति को खास लाभ होता है, shani dev (1) जिन लोगों की कुंडली में शनि देव पीड़ा दे रहे हैं, उन्हें शनि कवच स्त्रोत का पाठ नियमित रुप से करना चाहिये, इससे साढेसाती का प्रभाव कम हो जाता है, व्यक्ति के जीवन में समस्त दुखों का नाश होता है।

(डिस्क्लेमर- यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित है, हम इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करते हैं।)