जंक फूड पर नहीं चलेगी दुकानदारों की मनमानी, बड़ी तैयारी कर रही सरकार, गाइडलाइन की योजना

एफएसएसएआई के पास बीते कई सालों से शिकायत आ रही थी कि कई दुकानदार ग्राहकों को कई दिन पुराना सामान ताजा होने का दावा करके बेचते थे।

New Delhi, Jun 06 : भारत में रेडी टू ईट फूड का चलन तेजी से बढ रहा है, चाहें बच्चे हो, युवा हों, बड़े हों, या बुजुर्ग, सभी की पहली पसंद बाजार में मिलने वाला रेडी टू ईट फूड बनता जा रहा है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या ये है कि बाजार में मिलने वाला सामान जैसे सैंडविच, बर्गर, क्रीम रोल पर कभी भी नहीं लिखा होता, कि इसे कब बनाया गया है, और कब खराब होगा।

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सरकार की पहल
अगर आप दुकानदार से पूछते हैं, तो वो यही जवाब देता होगा, कि आज ही बना है, फ्रेश है, जिस पर भरोसा करने अलावा आपके पास कोई और चारा नहीं बचता, लेकिन अब स्थिति बदलने वाली है, क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली भारत सरकार की फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक कानूनी गाइडलाइन लाने वाली है, जिसके मुताबिक बाजार में मिलने वाले सभी रेडी टू ईट फूड जैसे सैंडविच, बर्गर, क्रीम रोल, पेटीज जिसे दुकानदार प्लास्टिक से वॉरप करके बेचते हैं, उस पर नियम लागू होने के बाद ये लिखना जरुरी हो जाएगा, कि ये फूड कब हबना है, बनाने में किस मेटेरियल का उपयोग किय गया है, इसे कब तक खाया जा सकता है यानी बेस्ट बिफोर तारीख क्या है।

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मिल रही थी शिकायत
रिपोर्ट के अनुसार एफएसएसएआई के पास बीते कई सालों से शिकायत आ रही थी कि कई दुकानदार ग्राहकों को कई दिन पुराना सामान ताजा होने का दावा करके बेचते थे, इतना ही नहीं एफएसएसएआई द्वारा छापेमारी में भी कई बार बासी चीजें ग्राहकों को बेचते देखा गया, ऐसे में बाजार में बिकने वाले रेडी टू ईट जंक फूड की क्वालिटी को बेहतर रखने की कड़ी में एफएसएसएआई इस तरह की गाइडलाइन को बनाने पर काम कर रही है।

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दूसरे नंबर पर भारत
इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस के अनुमान के अनुसार भारत में हर साल 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत खराब खाना तथा पानी के सेवन से होती है, आंकड़ों के लिहाज से देखें, तो खराब खाने के सेवन की वजह से मौत के मामले में भारत विश्व में दूसरे नंबर पर है।