बचाव कर्मियों के पीछे बड़ा बालासोर हादसे का भूत, भूख-प्यास गायब, पानी भी लगता है खून
हादसे के बाद की इस समस्या के बारे में एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने मंगलवार को कहा कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव कार्य में तैनात बल का एक कर्मी जब भी पानी देखता है, तो वो उसे खून की तरह नजर आता है।
New Delhi, Jun 07 : ओडिशा रेल हादसे का भयावह मंजर लोगों को भूलाये नहीं भूल रहा है, हर तरफ बिखरी लाशें, मानव शरीर के अंग लोगों को नींद से जगा दे रहे हैं, रेल हादसे के बाद सबसे बुरा प्रभाव बचाव कार्य में लगे सदस्यों पर देखने को मिल रहा है, इस भीषण हादसे ने ना सिर्फ अपनों को खोने वालों को कभी ना भरने वाले घाव दिये हैं, बल्कि उसकी विभीषिका बचाव कार्य में लगे कर्मियों पर भी दिख रही है, बचावकर्मियों की मानसिक स्थिति हिली हुई है।
पानी भी खून की तरह दिखता है
हादसे के बाद की इस समस्या के बारे में एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने मंगलवार को कहा कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव कार्य में तैनात बल का एक कर्मी जब भी पानी देखता है, तो वो उसे खून की तरह नजर आता है, हादसे के बाद एक अन्य बचावकर्मी की भूख ही गायब हो गई है।
9 दल तैनात
बालासोर में 3 ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिये एनडीआरएफ के 9 दलों को तैनात किया गया था, भारत के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में करीब 278 लोगों की मौत हो गई, 900 से ज्यादा लोग घायल हो गये, बचाव अभियान समाप्त होने तथा पटरियों की मरम्मत के बाद इस मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही शुरु कर दी गई है, लेकिन कई पीड़ितों का दावा है कि उनके अपनों का पता नहीं चल पा रहा है।
मानसिक सेहत हिली
अच्छी मानसिक सेहत के लिये ऐसी काउंसलिंग हमारे उन कर्मचारियों की कराई जा रही है, जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव तथा राहत अभियानों में शामिल होते हैं, करवाल ने कहा कि पिछले साल से अब तक इस संबंध में विशेष अभियान चलाया जा रहा है।