विपक्षी एकजुटता के लिये जीतोड़ मेहनत कर रहे नीतीश, चाणक्य और चंद्रगुप्त की दोहरी भूमिका

सुशासन बाबू चंद्रगुप्त के साथ-साथ चाणक्य का डबल रोल भी खुद ही करने के फिराक में हैं, चंद्रगुप्त इसलिये ताकि भारत के पहले बिहारी प्रधानमंत्री के रुप में शपथ ले सकें।

New Delhi, Jun 13 : पिछले 18 सालों से बिहार के चंद्रगुप्त यानी शासक की भूमिका निभा रहे नीतीश कुमार अब भारत का चंद्रगुप्त बनने के सपने के साकार करना चाहते हैं, लेकिन कहानी में ट्विस्ट ये है कि सुशासन बाबू चंद्रगुप्त के साथ-साथ चाणक्य का डबल रोल भी खुद ही करने के फिराक में हैं, चंद्रगुप्त इसलिये ताकि भारत के पहले बिहारी प्रधानमंत्री के रुप में शपथ ले सकें, चाणक्य इसलिये ताकि मोदी को सत्ता में उखाड़ फेंकने की बरसों पुरानी प्रतिज्ञा को अमली जामा पहना सके, लेकिन लाख टके का सवाल ये है कि ये सब होगा कैसे।

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विपक्षी एकता का सपना- लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को हराने के लिये समूचा विपक्ष एक ही छत के नीचे इकट्ठा होकर एक इरादे तथा एक स्वर में विरोध की आवाज उठाये, opposition ये सुनहरा ख्वाब फिलहाल सच होता तो नहीं दिख रहा है, वजह पीएम पद पर एक से ज्यादा दावेदारी, राहुल गांधी, ममता बनर्जी तथा अरविंद केजरीवाल तक प्रधानमंत्री बनने क सपना देख रहे हैं। नीतीश भी इनसे जुदा नहीं हैं, पीएम बनने का स्वप्न इनके हृदय में भी है, नीतीश विपक्षी एकता के लिये जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। ममता बनर्जी से लेकर राहुल गांधी, खड़गे और केजरीवाल से लेकर नवीन पटनायक तथा उद्धव ठाकरे तक, नीतीश विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं से मिलकर उन्हें एक झंडे के नीचे लाने की कोशिश कर रहे हैं।

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पाटलिपुत्र से दिल्ली को चुनौती- नीतीश की जीतोड़ कोशिश के बाद तय हुआ था कि 12 जून 2023 को पटना में विपक्षी दलों के अध्यक्ष या शीर्ष नेता एकजुट होकर 2024 की साझा रणनीति बनाएंगे, लेकिन वो बैठक टल गई, तो लगा कि विपक्ष को एकजुट करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, लेकिन अब 23 जून को पटना में विपक्ष के कद्दावर नेताओं की बैठक होगी। रिपोर्ट के अनुसार इस मीटिंग में नीतीश और तेजस्वी तो बतौर मेहमान रहेंगे ही, इनके अलावा टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, आप मुखिया अरविंद केजरीवाल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, एनसीपी चीफ शरद पवार भी मौजूद रहेंगे, साथ ही हेमंत सोरेन, उद्धव ठाकरे, डी राजा और सीताराम येचुरी भी शामिल होंगे। जदयू सूत्रों का दावा है कि कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल होंगे, अगर ये दावा सच है, तो निश्चित रुप से बीजेपी के लिये ये चिंता की बात है, क्योंकि एकजुट विपक्ष के आगे एनडीए को अपनी रणनीति पर पुर्नविचार करना पड़ेगा।

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इतिहास दोहराने की कवायद- पटना में विपक्ष के इस संगम का आइडिया बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का था, जिन्होने सत्ता परिवर्तन में पटना के ऐतिहासिक योगदान की याद नीतीश को दिलाई, पटना की धरती से ही 49 साल पहले 5 जून 1974 को जेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांदी को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिये पहली रैली की थी, जिसमें बिना बुलाये दस लाख लोग पहुंचे थे, इंदिरा ने आपातकाल लगाया, बावजूद उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा, विपक्षी दल अब वही हाल पीएम मोदी का करना चाहते हैं, लेकिन 1974 और 2023 में फर्क ये है कि तब जेपी चाणक्य की भूमिका में थे, जबकि आज नीतीश चंद्रगुप्त और चाणक्य दोनों बनना चाहते हैं।