एक मीटिंग… अमित शाह की मौजूदगी तथा NCP में दो फाड़, अजित पवार के बगावत की इनसाइड स्टोरी
बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते अमित शाह से सीएम एकनाथ शिंदे तथा डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडण्वीस की एक मीटिंग हुई थी, ये मीटिंग दिल्ली में की गई थी, जहां अजित पवार को लेकर मंथन किय़ा गया था।
New Delhi, Jul 03 : महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा उलटफेर हुआ है, उसने कई समीकरण बदल कर रख दिये हैं, इस समय एनसीपी नेता अजित पवार इस उलटफेर के केन्द्र में हैं, लेकिन इस सियासी सिनेमा के और भी कई किरदार हैं, एक किरदार तो गृह मंत्री अमित शाह भी हैं, उनकी एक मीटिंग ने इस बगावत को हरी झंडी दिखाने का काम किया था, यानी इस उलटफेर की इनसाइड स्टोरी में काफी कुछ छिपा हुआ है।
अमित शाह के साथ सीक्रेट मीटिंग
असल में बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते अमित शाह से सीएम एकनाथ शिंदे तथा डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडण्वीस की एक मीटिंग हुई थी, ये मीटिंग दिल्ली में की गई थी, जहां अजित पवार को लेकर मंथन किय़ा गया था, अब बीजेपी ने इसे लेकर कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन ये फैसला कापी अबम था, इससे कई समीकरण बदलने वाले थे, ऐसे में अमित शाह की भूमिकाको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मीटिंग में क्या हुआ था
जो रिपोर्ट मिल रही है, उसके मुताबिक पिछले महीने 29 जून को सीएम एकनाथ शिंदे तथा डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडण्वीस दिल्ली रवाना हुए थे, वहां पर दोनों ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति से उन्हें अवगत कराया, फिर एनसीपी में चल रही बगावत की जानकारी दी, उस जानकारी के बाद ही अजित पवार पर फैसला लिया गया, एनसीपी में दो फाड़ की स्क्रिप्ट को अमित शाह की मौजूददी में फाइनल किया गया, बड़ी बात ये रही कि उस मीटिंग के बाद उसी दिन शिंदे और फडण्वीस मुंबई के लिये रवाना हो गये थे।
बीजेपी को अजित पवार से क्या फायदा
अब ये एक सीक्रेट मीटिंग ही बताने के लिये काफी है कि महाराष्ट्र के सियासी खेल में अमित शाह की भी भूमिका है, वैसे बीजेपी को इस उलटफेर से एक नहीं बल्कि दो फायदे हो रहे हैं, एक तरफ 2024 लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों पर पार्टी खुद को पहले से ज्यादा मजबूत महसूस करेगी, दूसरी ओर जिस विपक्षी एकता की पिछले कई दिनों से कवायद चल रही है, उसमें भी बड़ी सेंधमारी लगेगी।
बिना शिंदे भी अब बीजेपी मजबूत
राजनीतिक विश्लेषक ये भी मानते हैं कि सीएम एकनाथ शिंदे की बढती ताकत को सीमित करने के लिये अजित पवार का इस्तेमाल किया जा रहा है, उनका साथ आना बीजेपी को पावर गेम को कुछ हद तक बैलेंस करने का मौका देगा, इसके अलावा अभी तक विधायकों की अयोग्यता पर भी कोई फैसला नहीं आया है, ऐसे में शिंदे सरकार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, अब जब अजित वाली एनसीपी का साथ मिल गया, तो उस स्थिति में विधानसभा में बीजेपी के पास बिना शिंदे के भी मजबूत नंबर मौजूद है।
क्या अजित की हो जाएगी एनसीपी
वर्तमान में एनसीपी के पास विधानसभा में कुल 53 विधायक हैं, अजित खेमे के नेता का दावा है कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है, अजित तो एक कदम आगे बढकर कह रहे है कि सभी उनके साथ खड़े हैं, अब 53 का दो तिहाई 36, यानी अजित को ये आंकड़ा किसी भी कीमत पर अपने साथ चाहिये, अभी के लिये दावों के अनुसार उनके पास पर्याप्त नंबर है, ऐसे में दल-बदल कानून के कई नियमों से उन्हें सुरक्षा मिल सकती है। अब सवाल ये भी है कि चुनाव आयोग ऐसी परिस्थिति में किसी सपोर्ट करता है, जिसने बगावत की, क्या उसे मान्यता दी जाएगी, या फिर जिसके साथ धोखा हुई है, उसके पक्ष में फैसला जाता है।