राहुल गांधी ने ‘इमरजेंसी’ को लेकर अपनी ही दादी को बना दिया ‘विलेन’! जानें 1975 में क्या हुआ था

राहुल गांधी के बयान ने एक बार फिर कांग्रेसियों की मुश्किल बढ़ा दी है । इस बार उन्‍होंने देश में लगी इमरजेंसी को गलती बताया है ।  

New Delhi, Mar 03: राहुल गांधी के बयान अकसर उनकी अपनी पार्टी के लिए मुश्किल बन जाते हैं, अब एक बार फिर उनके बयान से सनसनी मच गई है । दरअसल कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष ने अपनी दादी इंदिरा गांधी के शासनकाल में लगाए गए आपातकाल को गलती बताया है । विपक्षी दल तो शुरुआत से ही आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी को तानाशाह बताते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की ओर से कभी इसे लेकर कोई बयान नहीं आया । लेकिन राहुल गांधी ने एक कार्यक्रम के दौरान इस पर बात की ।

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इमरजेंसी एक गलती थी – राहुल गांधी
राहुल गांधी ने ये बयान कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में बुधवार को प्रो. कौशिक बसु के साथ वर्चुअल डिस्कशन में दिया । यहां राहुल ने कहा कि इमरजेंसी एक गलती थी । आपको बता दें राहुल, मौजूदा मोदी सरकार के कार्यकाल की इमरजेंसी से तुलना कर रहे थे । राहुल ने कहा कि इमरजेंसी एक गलती थी, पर उस वक्त जो हुआ और आज जो देश में हो रहा है, दोनों में फर्क है।

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कांग्रेस संवैधानिक ढांचे को नहीं हथियाती
राहुल ने यहां कहा-  ‘कांग्रेस पार्टी कभी भी मौके पर भारत के संवैधानिक ढांचे को हथियाने की कोशिश नहीं करती है। हमारी पार्टी का ढांचा हमें इसकी इजाजत ही नहीं देता। अगर हम चाहे भी कि ऐसा कर दें तो हम नहीं कर सकते।’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने कभी भी संस्थानों का फायदा उठाने की कोशिश नहीं की। वर्तमान सरकार भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है। हर संस्था की स्वतंत्रता पर हमला किया जा रहा है। राहुल ने कहा, ‘संसद में डिबेट के दौरान माइक बंद कर दिया जाता है। हमें संसद में बोलने नहीं दिया जाता है। लोकतंत्र पर पूरी तरह से हमला किया जा रहा । राहुल ने कहा- ‘हम विचारधारा वाली पार्टी हैं और हमारी विचारधारा देश के संविधान की विचारधारा है। ऐसे में हमारे लिए लोकतांत्रिक रहना बेहद जरूरी है।’

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क्‍यों लगा था आपातकाल?
अब आपको बताते हैं देश में आपातकाल क्‍यों लगा, दरअसल इमरजेंसी की आहट 1971 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान हो गई थी । यहां इंदिरा गांधी ने रायबरेली सीट से राजनारायण को हराया था । जयप्रकाश नारायण के सबसे ताकतवर साथी राजनारायण ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई थी। इससे इंदिरा गांधी ने अपने खिलाफ माना और 25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया था। आपातकाल में संजय गांधी अपनी मां के सबसे बड़े सलाहकार थे । उनकी छवि भारत की राजनीति में कड़े फैसले लेने वाली रही है। इमरजेंसी के दौरान संजय गांधी ने जनसंख्या पर काबू करने के लिए 62 लाख पुरुषों की जबर्दस्ती नसबंदी करा दी थी । ऑपरेशन के दौरान 2 हजार लोगों की मौत हो गई थी। बाद में इंदिरा गांधी को अपनी सरकार तक गंवानी पड़ी थी ।