दिवाली पर आतिशबाजी कम हुई फिर भी सांसों में घुला ‘जहर’

अल्प आय बस्तियों में खूब आतिशबाजी बांटी गई । हर पटाखा हवा का दम घोट रहा था और साथ ही सबसे बड़ी अदालत के गाल पर झन्नाट दे रहा था।

New Delhi Oct 20 : कल रात आतिशबाजी कम तो चली लेकिन सांस में जहर घोलने को पर्याय थी। मेरे इलाजे राजेन्द्र नगर, साहिबाबाद में एक बात गौर की, आम नौकरी पेशा लोग आतिशबाजी से दूर रहे लेकिन* नौकरीपेशा* पटाखे चलाने में सबसे आगे थे। यही नही अल्प आय बस्तियों में खूब आतिशबाजी बांटी गई । हर पटाखा हवा का दम घोट रहा था और साथ ही सबसे बड़ी अदालत के गाल पर झन्नाट दे रहा था। रात साढ़े नौ की सीमा तो किसी ने मानी ही नहीं। पुलिस प्रशासन या प्रतिरोध कहीं था नहीं। दिल्ली के हालात और बदतर थे। रात 10 बजे विवेक विहार के आसपास सड़कों पर गुंडों का कब्जा था। सैंकडो लड़के बाइक और गाड़ियों से तेज रफ्तार गाड़ियों से कोहराम मचा रहे थे।

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कोई पुलिस थी नही। सच लगा 1 लाख 74 हज़ार दीप जला कर, रामलीला कलाकारों का अभिषेक करने से आने वाले राम राज्य की झलक diwali 1मिल गयी। जब नारंगी खटमल हर संवैधानिक या वैधानिक संस्था को चूस लेंगे। सड़क और भीड़ तंत्र होगा। एक अनुशागी परिवार वाला कहे जाने वाले “जागरण” की खबर देखें – राजधानी दिल्ली में दिवाली के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर की धज्जियां उड़ाई गईं। दिल्ली में जमकर पटाखे फोड़े गए. राजधानी में जमकर हुई आतिशबाजी से धुएं के गुब्बार और धुंध में एक बार फिर दिल्ली सिमट गई है।

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प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद दिल्ली में कई जगहों पर जमकर आतिशबाजी हुई और वो तमाम पटाखे भरपूर दागें गए diwali 2जो शहर की फिजाओं में बारूदी जहर घोल रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट के पटाखों पर बैन के बावजूद प्रदूषण का स्तर कम होता दिखाई नहीं दे रहा है. दिवाली की रात के आंकड़ों पर नजर डालें तो कई जगहों पर प्रदूषण का स्तर सामान्य से 12 गुना तक ज्यादा हो चुका है।

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दक्षिणी दिल्ली के आरके पुरम जैसे पॉश इलाके में प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 में लगभग 12 गुना तक गिरावट दर्ज की गई है। आरके पुरम केdiwali 3 अलावा आनंद विहार, शाहदरा, वजीरपुर, अशोक विहार और श्रीनिवासपुरी जैसे इलाकों में भी प्रदूषण का स्तर सामान्य से कई गुना ज्यादा पहुंच गया है, ये आंकड़े रात करीब 10:00 बजे तक के हैं। जानकारों की मानें तो यह आंकड़ा सुबह तक कहीं और ज्यादा खतरनाक स्तर तक पहुंच सकते हैं। (वरिष्‍ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं।)