60’s की सुपरस्‍टार थीं निम्‍मी, घर के बाहर लाइन लगती थी, लेकिन एक रोल ने पूरा करियर चौपट कर दिया

निम्‍मी के निधन से आज पूरा बॉलीवुड शोक में है । 60 के दशक की वो इकलौती ऐसी अदाकारा थीं जिन्‍होने बोल्‍ड सीन से भी इनकार नहीं किया । लेकिन वो गुमनामी में क्‍यों चली गईं, आगे जानिए ।

New Delhi, Mar 26: बॉलीवुड की वो एक्‍ट्रेस जो अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थीं, 60 के दशक में भी जिन्‍हें बोलड सीन देने से डर नहीं लगता था । वो एक्‍ट्रेस थीं निम्‍मी । बोल्ड सीन देने से नहीं कतराईं । इस एक्ट्रेस का नाम है निम्मी । मुस्लिम परिवार से आने वाली निम्मी का असली नाम नवाब बानू है । लंबे समय से वो गुमनामी की जिंदगी जी रही थीं । आज उनका मुंबई में निधन हो गया । वो 88 वर्ष की थीं । निम्‍मी लंबे समय से बीमार थीं । हिंदी फिल्‍मों की सुपरस्‍टार निम्‍मी की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें आगे जानिए ।

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रातों रात बन गईं थीं स्टार
राज कपूर के जरिए निम्‍मी को डेब्यू मिला और वो रातोंरात स्टार बन गईं । 50 और 60 के दशक में निम्मी का स्टारडम देखते ही बनता था । तब निम्मी खूब डिमांड में थीं और दिलीप कुमार से लेकर राज कपूर, अशोक कुमार, धर्मेंद्र जैसे कई सुपस्‍टार्स भी उनके साथ काम करने के लिए आगे-पीछे रहते थे । खुद राज कपूर उनको अपनी एक फिल्म में लेने के लिए अड़ गए थे । लेकिन निम्मी की एक गलती उनके करियर पर भारी पड़ गई ।

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लीड रोल छोड़कर किया बहन का रोल
बात 1963 की है , जब उन्होंने फिल्म ‘महबूब’ में लीड हीरोइन के रोल को रिजेक्ट कर दिया। इस फिल्म में निर्देशक हरनाम सिंह रवैल निम्मी को लीड हीरोइन और बीना राय को राजेंद्र कुमार की बहन के रोल के लिए लेना चाहते थे, लेकिन निम्मी को लगा कि हीरोइन के किरदार से ज्यादा बहन का किरदार जरूरी है और ये सोचकर निम्मी ने लीड किरदार करने से मना कर दिया। इसके बाद फिल्म में राजेंद्र कुमार की लीड हीरोइन के लिए साधना को साइन किया गया जबकि निम्मी को उनकी बहन का किरदार मिला। फिल्म हिट रही और इसने साधना को टॉप की हीरोइन बना दिया जबकि निम्मी का करियर डूबने लगा ।

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साधना ने ले ली जगह
इस एक फिल्म में बहन का किरदार निभाने का खामियाजा निम्मी को अपनी आने वाली कई फिल्मों में भुगतना पड़ा । साधना ज‍हां रातोंरात पॉपुलर हो गईं वहीं फिल्म निर्माता और निर्देशकों ने निम्मी को ‘वो कौन थी ?’ और ‘पूजा के फूल’ जैसी फिल्मों से भी रीप्लेस कर दिया। ‘पूजा के फूल’ फिल्‍म  में उन्हें अंधी महिला का किरदार दिया गया जबकि लीड रोल में माला सिन्हा को लिया गया।

किरदार ने खत्‍म किया करियर
फिल्म ‘आकाशदीप’ में वो एक बार फिर लीड हीरो अशोक कुमार की पत्नी के रोल में नजर आईं । लेकिन फिल्‍म में ज्यादा फोकस धर्मेंद्र और नंदा पर था। ‘मेरे महबूब’ में लीड हीरोइन की तुलना में बहन के किरदार को चुनने का मलाल निम्मी को आज तक है । 1993 में दिए एक इंटरव्यू में निम्मी ने कहा भी था कि वो बढ़िया रोल कर सकतीं थीं लेकिन उन्हें किसी ने भी अच्छे रोल दिए नहीं और आज भी उनमें वो तमन्ना बाकी है।
महबूब खान की मदद की थी
एक बार निम्मी ने फिल्म मेकर महबूब खान की मदद भी की थी । जब महबूब खान ने फिल्म ‘मदर इंडिया’ बनाई तो उन्हें काफी पैसों की किल्लत हुई थी । जब निम्मी को इस बारे में पता चला तो वो पल्लू में नोटों का बंडल बांधकर महबूब के ऑफिस पहुंचीं । मैनेजर को रुपए दिए और कहा कि फिल्म जरूर बननी चाहिए । साथ ही ये भी कहा कि महबूब साहब को मत बताना कि पैसे मैंने दिए हैं ।