राहत कुरैशी कैसे बन गए राहत इंदौरी? जानिए कितनी की थीं शदियां- कब चढ़ा नज्मों का चस्का
मुशायरों की शान राहत इंदौरी हमारे बीच नहीं रहे, 70 वर्षीय मशहूर शायर की कल दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई । आइए जानते हैं इनके शानदार सफर और निजी जीवन के बारे में ।
New Delhi, Aug 12: इंदौर के रहने वाले मशहूर शायर राहत इंदौरी मंगलवार शाम दुनिया से हमेशा के लिए रुख्सत हो गए । उन्हें दिल का दौरा पड़ा था । राहत इंदौरी 70 साल के थे, सोमवार को ही उन्हें इलाज के लिए अरविंदो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। राहत इंदौरी गीतकार थे और उर्दू भाषा के मशहूर कवि थे, वो युवाओं में बहुत ही ज्यादा पॉपपुलर थे । उर्दू भाषा के पूर्व प्रोफेसर और चित्रकार भी रहे। राहत इंदौरी के सफर की कुछ खास बातें आगे पढ़ें ।
इंदौर में हुआ जन्म
राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को मध्य प्रदेश, इंदौर में हुआ था। उनका पूरा और असल नाम राहत कुरैशी था । पिता का नाम रफतुल्लाह कुरैशी और मॉ का नाम मकबूल उन निसा बेगम है । राहत उनकी चौथी संतान थे । उनकी 2 बड़ी बहनें भी हैं । राहत साहब के एक बड़े भाई हैं, और एक छोटे । मध्य प्रदेश से ही शुरुआती शिक्षा लेने वाले राहत शब्दों के जादूगर कहलाए जाते हैं ।
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मंचों की शान
राहत इंदौरी साहब की आरंभिक शिक्षा मध्यप्रदेश के ही देवास और इंदौर के नूतन स्कूल से हुई । इंदौर विश्वविद्यालय से उन्होने उर्दू भाषा में एम.ए. और फिर ‘उर्दू मुशायरा’ शीर्षक से पीएच.डी. की । 16 सालों तक वे इंदौर विश्वविदायालय में उर्दू साहित्य पढ़ाते रहे । वहीं से उन्होने त्रैमासिक पत्रिका ‘शाखें’ का 10 वर्षों तक संपादन किया । पिछले 4 दशकों से राहत साहब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मुशायरों की शान बने हुए थे। आगे जाने उनके परिवार के बारे में ।
शादियां , परिवार, बच्चे
राहत इंदौरी साहब ने दो शादियां की थीं । पहली शादी 27 मई 1986 को सीमा रहत से, और दूसरी 1988 में अंजुम रहबर से । सीमा से उनको एक बेटी शिबिल और 2 बेटे जिनका नाम फैज़ल और सतलज है, हुए हैं। जबकि अंजुम से उनको एक बेटा हुआ । हालांकि कुछ सालों के बाद अंजुम ने तलाक ले लिया था ।
दिलचस्प है किस्सा
राहत कुरैशी से राहत इंदौरी बनने का किस्सा बड़ा ही दिलचस्प है । बताया जाता है कि राहत स्कूल के समय में सड़कों पर साइन बोर्ड लिखने का काम करते थे। लिखावट काफी सुंदर थी। एक मुशायरे के दौरान उनकी मुलाकात मशहूर शायर जां निसार अख्तर से हुई थी, ऑटोग्राफ लेते हुए राहत साहब ने खुद को शायर बनने की इच्छा उनके सामने जाहिर कर दी । उस समय अख्तर साहब ने उनसे कहा कि पहले 5 हजार शेर जुबानी याद कर लें, फिर वो शायरी खुद ब खुद लिखने लगेंगे । उस वक्त राहत इंदौरी का जवाब सुनकर अख्तर साहब हैरान रह गए, उन्होने जबाव दिया था कि 5 हजार शेर तो मुझे पहले से ही याद है। बस इसके बाद अख्तर साहब ने जवाब दिया कि फिर तो तुम पहले से ही शायर हो, देर किस बात की है स्टेज संभाला करो। इसके बाद राहत इंदौरी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा ।