तो ये हैं सहिष्णु सहिष्णु खेलने वालों का असहिष्णु चेहरा !

तो ये हैं सहिष्णु सहिष्णु खेलने वालों का असहिष्णु चेहरा। मेरी एक सलाह है मृणाल पांडेय को, आजकल काम वाम ज्यादा होगा नही, तो ज़रा अपनी माता जी का सम्पूर्ण साहित्य पढ़ डालें।

New Delhi, Sep 21 : मैंने दो वर्ष पूर्व भारत में छद्म असहिष्णुता के नाम पर अवार्ड वापसी ब्रिगेड के पैरोकारों से खुल कर मोर्चा लिया था। वह वर्ष 2015 था। असहिष्णु ब्रिगेड में कुछ चेहरे सामने थे और ढेरों उनके पीछे छिप कर समर्थन देते हुए। अच्छा यह लग रहा है कि वर्ष 2017 आते आते तक उनमे से बहुतों के चेहरों से मुलम्मा उतर रहा है, हताशा, भग्नाशा, कुंठा से विदीर्ण ऐसे अनेक लोग सार्वजनिक जगहँसाई एवं कौतुक का पात्र बन सामने आ रहे हैं। इस श्रृंखला में नया नाम मृणाल पांडेय का है। मेरी प्रिय कथाकार, यशस्विनी सिद्ध लेखिका शिवानी जी की बेटी हैं।

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पहले शायद बहुत कुछ थीं, अब कुछ नही है, इसी कारण हो रहा है, जो हो रहा है। याने की अब वे पत्रकार से ब्लॉकप्रमुख बन चुकी हैं। इसी संदर्भ में अजित अंजुम जी की पोस्ट पढ़ते हुए जी में आया कि हाल का ही एक वाक़या ज़रूर बताया जाए। Mrinal Tweet1पिछले माह हरितालिका व्रत की शुभकामनाएं देते हुए मैंने सभी बहनों को मंगलकामनायों का एक ट्वीट लिखा। अनामंत्रित वे स्वयं उस पर आकर विरोध करने लगीं और अपमानजनक और व्यंग्यात्मक शैली में अकथ कहा।

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यद्यपि न मैं उन्हें फॉलो करती हूं न वे मुझे तथापि उनके व्यक्तित्व का सम्मान करते हुए उनके द्वारा किये गए सवाल पर मैंने गरिमामय उत्तर दे उनका मान बनाये रखने का प्रयास किया किन्तु वे न मानी, अहंकारी भाषा और व्रत उपवास करने वाली स्त्रियों का और भारतीय संस्कृति का उपहास उड़ाती ही रहीं। Mrinal Tweetमेरे पूछे तर्कों का जवाब उनके पास था नही अतः अंततः ब्लोकास्त्र का प्रयोग कर स्वयं ही उत्पन्न की बहस से गायब हो गईं।

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हाल में ही, प्रधानमंत्री जी पर बेहूदा ट्वीट करने पर आपत्ति जताने वाले राहुल देव जी, अजित अंजुम जी, अनंत विजय आदि कई ब्लॉक हो चुके। तो ये हैं सहिष्णु सहिष्णु खेलने वालों का असहिष्णु चेहरा। मेरी एक सलाह है मृणाल पांडेय को, आजकल काम वाम ज्यादा होगा नही, तो ज़रा अपनी माता जी का सम्पूर्ण साहित्य पढ़ डालें। उनकी लेखनी के बहाने जानिए भारत को, भारतीय संस्कृति को! कुमायूँ की रज रज में बिखरी संस्कृति, शिष्टता, गरिमा सभी के दर्शन माँ गौरा पंत शिवानी के अजर अमर उपन्यासों कहानियों में हो जाएंगे। खाली समय का असली सदुपयोग कीजिए, पितृ पक्ष में माँ का आशीर्वाद लीजिए। माता का आशीर्वाद कभी खाली नही जाता, सम्भवतः आत्मनवेषण का ज्ञान मिल जाये।

(लोकगायिका मालिनी अवस्थी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)