कुछ घंटे “असली काशी” मे भी तो एक बार गुजार कर देखिए मोदी जी
एक ओर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक अधिकारी दावा कर रहे है कि ऐसी कोई योजना नही है जिसमें नगर की धरोहर से छेड़छाड़ हो।
New Delhi, Feb 25 : काशी बेहाल है, भयाक्रांत है, खौफजदा है. वह आशंकित है अपनी पहचान को लेकर . हजारों साल की सांस्कृतिक विरासत जिससे उसे दुनिया के प्राचीनतम शहर का गौरव प्राप्त है, क्या वह खो देगी उसे ? पिछले कुछ दिनों से मीडिया मे प्लांट की जा रही खबरो मे अंट शंट बातें की जा रही है कि विश्वनाथ से माता गंगा का दर्शन कराया जाएगा और इसके लिए मार्ग मे आने वाली वो बस्ती जमीदोज कर दी जाएगी जो इस कार्य मे बाधक बनेगी.
एक ओर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के कार्यपालक अधिकारी दावा कर रहे है कि ऐसी कोई योजना नही है जिसमें नगर की धरोहर से छेड़छाड़ हो. लेकिन वही केंद्र और राज्य सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर रहस्यमय चुप्पी साधे हुए है, इसलिए खाटी बनारसी के चेहरे की हँसी छिन चुकी है.
इस प्रकरण पर मैं सोशल मीडिया मे लगातार लिखता रहा हूँ. लेकिन आज तो मेरी गुहार प्रधानमंत्री नरेद्र भाई मोदी जी से है. “आप काशी विश्वनाथ के अधिकृत प्रहरी भी है सर. बीते पौने चार साल के दौरान आपने यहाँ कई दौरे किए, रोड शो किए. मगर एक बार भी आपने “काशी दर्शन” नही किया.
ताजुब्ब है कि स्थानीय भाजपायी नेताओं ने इस शहर के बारे मे आपको शायद ब्रीफ नही किया. मैं बताए देता हूँ कि जिस काशी को सबसे पुराने जिंदा शहर का एजाज हासिल है वह असल मे राजघाट से लगायत अस्सी के बीच संकरी गलियों मे बसा पक्का मुहाल ही है जो उसे दुनिया का पहला कास्मोपोलिटन सिटी भी बनाता है. विश्वास कीजिए कि महादेव की तरह यह नगर अजन्मा है और गंगा माता के अवतरण से भी पहले का है. यही पक्का मुहाल कहते है कि देवाधिदेव के त्रिशूल ( विध्य पर्वत की तीन छोटी पहाड़ियों केदारेश्वर, विश्वेश्वर और ओकारेश्वर ) पर स्थित है. आपसे आग्रह है मोदी जी कि कुछ घंटे इस ” असली काशी ” मे भी तो गुजार कर देखिए. आपकी आख खुल जाएगी. बस एक बार, सिर्फ एक बार भूल भुलैया जैसी गलियों में पधारिए, मेरा दावा है कि इसके भूगोल, इसकी बनावट और वास्तु शिल्प पर आप इतराए बिना नही रहेगे.”